आंदोलनरत किसानों से पांचवें दौर की वार्ता जिद और तल्खी भरी रही। वार्ता में सरकार संशोधनों पर जोर देती रही, पर किसान तीनों कानून रद्द करने की मांग पर अड़े रहे। तीन घंटे बीत जाने के बावजूद हल न निकलता देख किसान नेताओं ने सामने रखे कागज पर यस ऑर नो लिखकर मंत्रियों को दिखाया। कुर्सी पीछे कर मुंह पर उंगली रखकर बैठ गए।
काफी समय तक कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल समझाने का प्रयास करते रहे, लेकिन किसानों के नहीं माने। तब मंत्रियों व अधिकारियों ने अलग मीटिंग की और फोन पर गृह मंत्री अमित शाह से बात की। इसके बाद कृषि मंत्री ने किसानों से समय मांगा। किसानों ने कहा कि हम आपको आखिरी बार समय दे रहे हैं।
अब 8 दिसंबर को भारत बंद के अगले दिन 9 को मीटिंग होगी। किसानों से पहले पीएम मोदी ने शाह व तीन अन्य मंत्रियों के साथ मीटिंग की। सूत्रों के अनुसार सरकार कानून वापस लेने पर विचार कर रही है।
किसानों ने मांगा तो सरकार ने लिखित दिए सहमति के बिंदु
किसानों ने वार्ता में उन बिंदुओं पर लिखित जवाब मांगा जिन पर गुरुवार की मीटिंग में सहमति बनी थी। सरकार ने किसानों को लिखकर दे भी दिया है। वहीं मीटिंग में सरकार जब संशोधन की बात पर अड़ी हुई थी तो किसानों ने कहा कि जीएसटी में भी आप काफी संशोधन कर चुके हैं लेकिन फायदा कुछ नहीं हुआ।.
इन बिलों में हमने इतनी आपत्तियां दी हैं कि उनका संशोधन करने के बाद कानूनों का कोई मतलब ही नहीं रहेगा, इसलिए इन्हें पूरी तरह रद्द किया जाए। बैठक में 15-15 मिनट के दो ब्रेक भी हुए। पहले की तरह ही किसानों ने अपना मंगवाया भोजन किया और चाय पी।
सरकार वापस ले सकती है कानून
किसान नेता हन्नान मोल्लाह ने कहा कि मीटिंग की शुरुआत में ही हमने मांग की थी कि कानून को वापस लिया जाए। संशोधन नहीं चाहते। ऐसा लगता है कि 9 दिसंबर को मीटिंग में सरकार कानून वापस लेगी। किसान नेता राजेंद्र आर्य ने कहा कि तीनों कानून रद्द करने के अतिरिक्त किसान किसी बात पर नहीं मानेंगे।
जरूरत हुई तो एक साल तक सड़क पर बैठेेंगे। किसान नेता नरेश टिकैत ने कहा कि सरकार कृषि कानूनों की वापसी पर हां या ना में जवाब दे।
किसानों की मांगों पर विचार करेंगे: मंत्री
एमएसपी : कृषि मंत्री तोमर ने बैठक के बाद बताया कि एमएसपी जारी रहेगी। इसपर शंका करना बेबुनियाद है। फिर भी समाधान के लिए तैयार हैं। एपीएमसी: यह एक्ट राज्य का है। मंडी को प्रभावित करने का इरादा हमारा नहीं है। इसे मजबूत करने को भी सरकार तैयार है।
अपेक्षा: हम चाहते थे कि कुछ विषयों पर स्पष्टता से सुझाव मिलें, लेकिन यह नहीं हो सका। किसानों से 9 दिसंबर तक सुझाव मांगे हैं और हम उनकी मांगों पर विचार करेंगे।
अपील: धरना स्थलों से बुजुर्ग, महिलाओं व बच्चों को घर भेजें।
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