दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के अधिकारियों और नेताओं ने गठजोड़ कर फ्री में होने वाले काम के लिए कई करोड़ों रुपए बहाकर मिड डे मील के लिए किचन बनाए और अब इन किचन का व्यवसायीकरण करने में जुट गई है। जिसके तहत अब अचानक एमसीडी ने फरमान जारी कर कहा है मिड डे मील बनाने वाले एनजीओ को अब एमसीडी के किचन में ही मिड डे मील तैयार करना होगा। यही नहीं किचन का किराया भी देना होगा। किराए की राशि 9.20 लाख रुपए प्रतिमाह की बोली के द्वारा तय की गई है।
सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को मिड डे मील के जरिए पौष्टिक आहार दिया जाता है। इस पर केंद्र और राज्य सरकार मिलकर खर्च करती है। जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार लगभग 60 प्रतिशत रकम प्रति छात्र राज्य सरकार और निगम को देती है। साउथ एमसीडी के अंदर चार जोन आते हैं। इन जोन में करीब 500 स्कूल हैं जिनमें 3.50 लाख बच्चों के लिए मिड डे मील बनाया जाता है।
अभी तक मिड डे मील बनाने वाली एनजीओ अपने किचन में ही खाना तैयार करती थी, लेकिन अब एनजीओ को एमसीडी के किचन में ही खाना बनाना होगा। अब साउथ एमसीडी पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं। जानकारों का कहना है कि जब मिड डे मील बनाकर सप्लाई करने वाली एनजीओ अपने संसाधनों के माध्यम से ही सफलतापूर्वक काम रही थी तो भला साउथ एमसीडी को अरबों रुपए खर्च करने की क्या जरूरत पड़ी थी। यह सरासर पैसों की बर्बादी है।
दूसरी ओर 8 सितंबर 2020 को नजफगढ़ जोन का एक टेंडर जारी किया गया। टेंडर शर्तों के अनुसार न्यूनतम किराया 4.16 लाख निर्धारित किया गया, टेंडर के दौरान यह किराया 9.20 लाख रुपए में दलित मानव एनजीओ को दे दिया गया है। सवाल उठता है कि संस्था साल के 7 महीने यानी 200 स्कूली कार्य दिवस काम करके 12 महीने का किराया कहां से देगी।
केन्द्र के दिशा निर्देशों का उल्लंघन कर रही है एमसीडी
मिड डे मील के लिए केंद्र सरकार 60 फीसदी खर्च निगम को देती है। निगम से प्रति छात्र 4.97 रुपए एनजीओ को मिलता है। एनजीओ को दी जाने वाली 4.97 रुपए का ऑडिट कर भारत सरकार मिड डे मील तैयार करने में खर्च होने वाला आटा, दाल, सब्जी, चावल, मसाले आदि से लेकर ट्रांसपोर्टेशन तक का विवरण दिया जाता है। इस ऑडिट विवरण में रेंट, बिजली, ईंधन, कर्मचारियों का वेतन आदि नाम का उल्लेख नहीं है।
कैलोरी युक्त मिड डे मिल चाहिए अन्यथा हम इस पर कार्रवाई करेंगे
मिड डे मील वितरण में मिल रही शिकायतों को लेकर साउथ एमसीडी अपने रसोई में मिड डे मील बनवाने का निर्णय लिया है। टेंडर में ऊंची बोली मिड डे मील बांटने वाली कंपनी लगाई है उसे घाटा हो या फायदा हमें इससे अधिक मतलब नहीं है। हमें मानक के आधार पर कैलोरी युक्त मिड डे मिल चाहिए अन्यथा हम इस पर कार्रवाई करेंगे।
राजदत्त गहलौत, अध्यक्ष स्थाई समिति,साउथ एमसीडी
कोई एनजीओ करोड़ों रुपए का घाटा अपने जेब से नहीं भर सकता
कोई भी एनजीओ करोड़ों रुपए का घाटा अपने जेब से नहीं भर सकता। जो एनजीओ करोड़ों का किराया अपने जेब से निगम को भुगतान करेगी निश्चित तौर पर नौनिहालों के थाली से घाटा पूरा करेगी।
-अभिषेक दत्त, निगम पार्षद कांग्रेस
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