प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मौजूदा दौर में नई सोच की जरूरत है। कोरोना महामारी हमारी सहनशीलता, सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली और आर्थिक प्रक्रिया के हालात की परीक्षा ले रही है। वर्तमान स्थिति ऐसी मानसिकता की मांग है, जहां विकास मानव केंद्रित हो। मोदी गुरुवार को इंडिया-अमेरिका स्ट्रेटजिक पार्टनरशिप फोरम के तीसरे सालाना सम्मेलन में ऑनलाइन बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि महामारी ने यह भी बताया है कि वैश्विक सप्लाई चेन सिर्फ लागत पर आधारित नहीं होनी चाहिए, बल्कि भरोसे पर आधारित होनी चाहिए।
इस तरह उन्होंने बिना नाम लिए दुनिया को चीन से आगाह किया, जिसकी लापरवाही से न सिर्फ कोरोना पूरी दुनिया में फैला। साथ ही चीन ने संकट की इस घड़ी में प्रभावित देशों को घटिया चीजों की सप्लाई भी की। मोदी ने कहा, कंपनियां अब विश्वसनीयता और स्थिरता भी तलाश रही हैं। ऐसे में भारत ऐसी जगह है जहां ये सारे गुण हैं। भारत विदेशी निवेश के लिए आकर्षक वैकल्पिक जगह बनकर उभरा है। अमेरिका से लेकर खाड़ी देशों तक तमाम देश हम पर विश्वास कर रहे हैं।
भारत में बिजनेस आसान हुआ, लाल फीताशाही कम हुई
मोदी ने कहा- कोरोना के काल में सीमित संसाधनों वाला 130 करोड़ लोगों का देश भारत दुनिया में सबसे कम मृत्युदर वाला देश है। रिकवरी रेट भी लगातार बढ़ रहा है। महामारी ने कुछ चीजों पर असर डाला है, लेकिन 130 करोड़ लोगों की आशाओं पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। हाल के महीनों में बहुत सारे सुधार किए गए हैं। इनके जरिए बिजनेस आसान हुआ है और लाल फीताशाही कम हुई है।
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