यादें अपने उजालों की रहने दो हमारे पास, न जाने किस गली में जिंदगी की शाम हो जाए...। ये बातें संतोष शैलजा ने तब लिखीं थीं, जब शांता कुमार नाहन जेल में बंद थे।
from Latest And Breaking Hindi News Headlines, News In Hindi | अमर उजाला हिंदी न्यूज़ | - Amar Ujala https://ift.tt/3ht1Xm7
Post a Comment