कृषि कानूनों के विरोध में जारी आंदोलन के बीच गुरुवार को दिल्ली के विज्ञान भवन में सरकार और किसान नेताओं में साढ़े सात घंटे वार्ता हुई। सरकार का दावा है कि करीब-करीब बात बन चुकी है। शनिवार को होने वाली बैठक परिणाम सामने आ सकता है। जबकि किसान नेता अभी तीनों कृषि कानूनों काे रद्द कराने पर अड़े हैं। फिर भी उन्होंने कहा है कि आंदोलन का असर सरकार पर वार्ता में दिखा है। बात सही दिशा में है। मीटिंग में समझौते का फार्मूला लगभग तैयार हो गया है। लेकिन कुछ संशय हैं, जिन पर 5 दिसंबर को चर्चा होगी।
मीटिंग के बाद केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि किसानों से उनकी दिक्कतों पर विस्तार से चर्चा हुई है। एमएसपी समेत 2-3 बिंदुओं पर किसानों की चिंता जायज है। हम चाहेंगे कि एमएसपी को मजबूत किया जाए। इससे पहले सुबह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की कृषि मंत्री से और फिर पंजाब के सीएम अमरिंदर सिंह के साथ बैठक हुई। करीब साढ़े 12 बजे किसानों की कृषि मंत्री तोमर और रेल मंत्री पीयूष गोयल से मीटिंग शुरू हुई। बैठक तीन चरणों में हुई, लंच से पहले किसान नेताओं ने आपत्तियां रखीं। इसके बाद में सरकार ने रुख बताया। चाय के बाद सरकार और किसान नेताओं में सवाल-जवाब हुए।
मीटिंग के मुख्य सवाल-जवाब
किसान: एमएसपी बंद होगी?
सरकार: चलती रहेगी।
किसान: मार्केट कमेटी खत्म तो नहीं हो जाएगी?
सरकार: प्राइवेट मंडियां आएंगी, हम एमएसपी को भी मजबूत बनाएंगे।
किसान: मंडी के बाहर ट्रेड के लिए पैन कार्ड कोई भी जुटा लेगा और उस पर टैक्स नहीं लगेगा।
सरकार: हम सुधार कर ट्रेडर के रजिस्ट्रेशन को जरूरी करेंगे।
किसान: मंडी के बाहर ट्रेड पर कोई टैक्स नहीं लगेगा?
सरकार: एपीएमसी मंडियों व प्राइवेट मंडियों में टैक्स एक जैसा बनाने पर विचार करेंगे।
किसान: विवाद में एसडीएम कोर्ट से ऊपर नहीं जा पाएंगे।
सरकार: ऊपरी अदालत जाने का हक देने पर विचार करेंगे।
किसान: छोटे किसानों की जमीन बड़े लोग हथिया लेंगे।
सरकार: किसानों की सुरक्षा पूरी है। फिर भी शंकाएं हैं तो समाधान के लिए तैयार हैं।
किसान: बिजली संशोधित बिल व पराली पर विरोध है।
सरकार: हम विचार करेंेगे।
मीटिंग लाइव: पहले तनातनी, देर शाम में नरमीॉ
{ 11:46 बजे किसान पहुंचे, फिर कृषि मंत्री व रेल मंत्री गोयल के पहुंचे। साढ़े 12 बजे बैठक शुरू।
{ किसान नेताओं ने 10 पन्नों का आपत्ति पत्र कृषि सचिव को सौंपा गया। इसमें 5 मुख्य बिंदु थे। एपीएमसी एक्ट में 17, एसेंशियल कमोडिटी एक्ट में 8 व कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में 12 जगह आपत्ति थी।
{ किसान नेता डॉ दर्शनपाल ने अपत्तियों के बारे में बताया।
{ पंजाब के किसान नेता बलदेव सिंह ने कहा कि मंडी सिस्टम खत्म हो जाएगा और सरकारी खरीद बंद हो जाएगी तो एमएसपी की गारंटी फिर कौन देगा। उन्होंने गन्ने की खरीद का उदाहरण दिया।
{ एमपी के किसान शिव कुमार कक्का ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की कमियां बताईं व आपत्तियां पढ़ीं।
{ 3:35 बजे लंच ब्रेक के बाद मीटिंग शुरू हुई, जिसमें किसानों की आपत्तियों पर केंद्रीय कृषि सचिव ने पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि एमएसपी कहीं नहीं जा रहा। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में भी दिक्कत नहीं आएगी। फिर भी एसडीएम कोर्ट का विकल्प है। मंडियां खत्म नहीं हो रहींं। उन्होंने निजी व सरकारी मंडी में फर्क बताया।
{ एक घंटे तक उन्होंने कृषि बिलों, फिर बिजली व वायु प्रदूषण के मुद्दे पर बात रखी।
{ 5:15 बजे किसानों ने चाय से मना कर दिया। उनके लिए पहले से ही बंगला साहिब से चाय आई हुई थी। इसी दौरान रेल मंत्री ने फोन पर शाह को जानकारी दी।
{ 5:40 फिर से शुरू हुई मीटिंग में किसानों और कृषि मंत्री के बीच सवाल-जवाब हुए।
{ 5:50 मीटिंग में मौजूद एकमात्र महिला किसान नेता कविता ताल्लुकदार ने कई मीडिया रिपोर्ट प्रस्तुत की। अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट का भी हवाला दिया। कहा कि इन कानूनों से बुरा हाल होगा। हमें मालूम है कि सरकार किसानों को मारना चाहती है।
{ कृषि मंत्री ने जवाब दिया कि एमएसपी में बदलाव नहीं होगा। मंडियों को बढ़ा रहे हैं।
{ चढूनी ने मीटिंग में एक बिजनेस ब्रांड का उदाहरण दिया और कहा कि वो अभी से काॅट्रैक्ट फार्मिंग में किसानों को लूट रहे हैं। बिहार के किसानों की आज जो हालत है, उसके लिए सरकार का रवैया जिम्मेदार है।
{ कृषि सचिव ने कहा कि ये कानून किसी ब्रांड नहीं किसानों के फायदे के लिए हैं।
{ किसानों ने एक आवाज में कहा कि हमें कुछ नहीं सुनना है। सरकार एक दिन का विशेष सत्र बुलाए और तीनों कानूनों रद्द करे।
{ कृषि मंत्री ने किसानों से कहा कि शांत रहें, बातचीत से हल निकलेगा। बीच का रास्ता निकालने की कोशिश करते हैं। कानून पूरी तरह रद्द नहीं हो सकते, लेकिन आपके सुझवों के आधार पर इनको मजबूत जरूर कर सकते हैं। हम एमएसपी की चिंता समझते हैं, प्राइवेट खरीदारों की मनमानी न बढ़े, इसे भी रोक सकते हैं। { 11:46 बजे किसान पहुंचे, फिर कृषि मंत्री व रेल मंत्री गोयल के पहुंचे। साढ़े 12 बजे बैठक शुरू।
किसान नेताओं ने 10 पन्नों का आपत्ति पत्र कृषि सचिव को सौंपा गया। इसमें 5 मुख्य बिंदु थे। एपीएमसी एक्ट में 17, एसेंशियल कमोडिटी एक्ट में 8 व कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में 12 जगह आपत्ति थी।
किसान नेता डॉ दर्शनपाल ने अपत्तियों के बारे में बताया।
पंजाब के किसान नेता बलदेव सिंह ने कहा कि मंडी सिस्टम खत्म हो जाएगा और सरकारी खरीद बंद हो जाएगी तो एमएसपी की गारंटी फिर कौन देगा। उन्होंने गन्ने की खरीद का उदाहरण दिया।
एमपी के किसान शिव कुमार कक्का ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की कमियां बताईं व आपत्तियां पढ़ीं।
3:35 बजे लंच ब्रेक के बाद मीटिंग शुरू हुई, जिसमें किसानों की आपत्तियों पर केंद्रीय कृषि सचिव ने पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि एमएसपी कहीं नहीं जा रहा। कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में भी दिक्कत नहीं आएगी। फिर भी एसडीएम कोर्ट का विकल्प है। मंडियां खत्म नहीं हो रहींं। उन्होंने निजी व सरकारी मंडी में फर्क बताया।
एक घंटे तक उन्होंने कृषि बिलों, फिर बिजली व वायु प्रदूषण के मुद्दे पर बात रखी।
5:15 बजे किसानों ने चाय से मना कर दिया। उनके लिए पहले से ही बंगला साहिब से चाय आई हुई थी। इसी दौरान रेल मंत्री ने फोन पर शाह को जानकारी दी।
5:40 फिर से शुरू हुई मीटिंग में किसानों और कृषि मंत्री के बीच सवाल-जवाब हुए।
5:50 मीटिंग में मौजूद एकमात्र महिला किसान नेता कविता ताल्लुकदार ने कई मीडिया रिपोर्ट प्रस्तुत की। अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट का भी हवाला दिया। कहा कि इन कानूनों से बुरा हाल होगा। हमें मालूम है कि सरकार किसानों को मारना चाहती है।
कृषि मंत्री ने जवाब दिया कि एमएसपी में बदलाव नहीं होगा। मंडियों को बढ़ा रहे हैं। चढूनी ने मीटिंग में एक बिजनेस ब्रांड का उदाहरण दिया और कहा कि वो अभी से काॅट्रैक्ट फार्मिंग में किसानों को लूट रहे हैं। बिहार के किसानों की आज जो हालत है, उसके लिए सरकार का रवैया जिम्मेदार है।
कृषि सचिव ने कहा कि ये कानून किसी ब्रांड नहीं किसानों के फायदे के लिए हैं।
किसानों ने एक आवाज में कहा कि हमें कुछ नहीं सुनना है। सरकार एक दिन का विशेष सत्र बुलाए और तीनों कानूनों रद्द करे।
कृषि मंत्री ने किसानों से कहा कि शांत रहें, बातचीत से हल निकलेगा। बीच का रास्ता निकालने की कोशिश करते हैं। कानून पूरी तरह रद्द नहीं हो सकते, लेकिन आपके सुझवों के आधार पर इनको मजबूत जरूर कर सकते हैं। हम एमएसपी की चिंता समझते हैं, प्राइवेट खरीदारों की मनमानी न बढ़े, इसे भी रोक सकते हैं।
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