शेखर घोष/ धर्मेंद्र डागर, दिल्ली सरकार के लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में कोरोना काल में हुए भ्रष्टाचार का पहला मामला सामने आया है। दिल्ली सरकार के अस्पतालों में मेडिकल उपकरणों की खरीद में भ्रष्टाचार का खुलासा करना एक डॉक्टर को मंहगा पड़ा। दिल्ली से सबसे बड़े अस्पताल एलएनजेपी में डेढ़ लाख रुपए के मेडिकल उपकरण 25 लाख रुपए में खरीदे जाने, रिटायरमेंट की चार्जशीट और कॉमनवैल्थ गेम्स की जांच कर रहे डॉक्टर का प्रशासन ने ट्रांसफर कर दिया। डॉक्टर को बचाव के लिए एक दिन का भी समय नहीं दिया गया। जिससे वह किसी तरह की कोई कार्रवाई कर सके। जबकि दूसरे अस्पताल के डॉक्टर को ट्रांसफर किए जाने पर उसे 3 दिन का समय दिया गया है। दिल्ली सरकार के प्रिसिंपल सेक्रेटरी हेल्थ ने डॉक्टर के इस तरह किए गए ट्रांसफर को लेकर उनका पक्ष जानना चाहा तो उन्होंने चुप्पी साधते हुए बाद में बात करने की बात कहते हुए कुछ भी कहने से इंकार दिया।
कई मामलों की जांच कर रहे थे ट्रांसफर किए गए डॉक्टर
भास्कर के पास उपलब्ध डॉक्यूमेंट के अनुसार डा. अजहर रहमान एलएनजेपी अस्पताल में तैनात सीएमओ(एनएफएसजी) का 31अगस्त 2020 को जीटीबी अस्पताल में ट्रांसफर कर दिया। जबकि वे रिटायरमेंट की चार्जशीट, अस्पताल में सप्लाई होने वाले सामान की जांच कर रहे थे। इसके साथ ही वे कॉमनवैल्थ गेम के दौरान एलएनजेपी व अरुणा आसिफ अली अस्पताल में हुए घोटालों की जांच का जिम्मा भी उन्हीं के पास था। पीड़ित डॉक्टर ने अपनी जांच रिपोर्ट सेंट्रल विजिलेंस कमीशनर(सीवीसी) को सौंप दी थी। जिसमें अरुणा आसिफ अली अस्पताल के तत्कालीन चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एसके बंसल, लोक नायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल के तत्कालीन चिकित्सा अधीक्षक डॉ. जेएस पासी समेत अनेक डॉक्टरों का नाम शामिल है। बताया जा रहा है कि डॉक्टर द्वारा बनाई गई रिटायरमेंट से संबंधित चार्जशीट को अस्पताल प्रशासन ने डिले कर दिया गया। जिसका फायदा डॉक्टर एसके बंसल को मिला।
बचाव के लिए एक दिन भी नहीं दिया समय
डॉक्टर का आरोप है अस्पताल प्रशासन ने कि ट्रांसफर के बाद अपने बचाव के लिए एक दिन का भी समय नहीं दिया। ऐसा इसलिए किया गया है कि ताकि समय मिलने पर डॉक्टर कोर्ट ना चला जाए। वहीं अशोक विहार स्थित दीप चंद बंधु अस्पताल के डॉक्टर अरविन मोहन का भी ट्रांसफर किया गया है। उसे डयूटी ज्वांइन करने के लिए 3 दिन का समय दिया गया है।
यह थी सीवीसी से कि गई शिकायत
कोरोना फंड से कोरोना महामारी में काम आने वाले उपकरण या दवाइयां खरीदी जानी थी। लेकिन अस्पताल के पूर्व एमएस डा. पासी ने डेढ़ लाख रुपए की ऑटोक्लेव मशीन 25 लाख रुपए में खरीद ली। यह मशीन उच्च दाब में वाष्प के द्वारा सर्जरी के औजारों को स्टरलाइज करने के काम आती है। आरोप है कि इस दौरान बिना जरूरत जो दो मशीनें खरीदी गईं वो भी 2017 के भी स्पेसिफिकेशन के अनुसार नहीं है।
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